Friday, September 22, 2017

बड़े दिन बाद आज उस मंदिर की सीढियों पे जाना हुआ..

बड़े दिन बाद आज उस मंदिर की  सीढियों पे जाना हुआ,
जहाँ कभी तुम पूजा की थाली लेकर इंतजार करती थी...
तुम्हे पता था ना,  की मैं कभी अंदर नही आऊंगा तुम्हारे साथ?
फिर भी, मेरे आने तक , बैठी रहती थी तुम...पूजा की थाली लिए... उस पगडंडी को देखते हुए...
मैं चल तो देता था मन्दिर की ड्योढी तक, तुम्हारे साथ.. पर कभी अंदर आ कर उसे कुछ मांगने का मन नही किया..
मांगता भी क्या.. उसने मुझे तुम्हे दे तो दिया था.. और मांगता भी क्या...
पर शायद उसे रास नही आया , मेरा यू टहलना बाहर, और तुम्हे ताकते रहना, जब तुम हाथ जोड़ कर, भाव विभोर हो जाती थी..

तुम चली गईं कहीं... क्यो?? पता नही..  मैं खोजता रहा तुम्हे उन्हीं सीढियो पर, और उस देहलीज के पार भी...

बड़े दिन बाद आज उस मंदिर की  सीडियों पे जाना हुआ, और वो मुझे ताक रहा था देहलीज के उस पार से.. मैं टहलता रहा, शायद उसे आज भी मेरा यू टहलना बाहर, रास नही आया.. शायद...

#मोहा

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